यह आलेख तभी पढ़ें जब ऊपर दिए राग का लिंक सुन रहे हों। वो आलेख से कई गुणा मधुर और प्रॉडक्टिव होगा। इस राग की वजह से सुबह स्वस्थ मुस्कुराती रहती है। जैसे इसी राग में ‘बावर्ची’ फिल्म का गीत “भोर आई गया अंधियारा..”।* चाय के साथ सुनें, या सुबह ऑफ़ीस के सफर में, या पूजा-पाठ के बैकग्राउंड में, या बिस्तर पर अखबार पढ़ते, यह अपना चयन है।
ऊपर की प्रस्तुति पलुस्कर जी की आवाज में है। ग्वालियर घराने से मराठी गायक, जो महज 34 वर्ष जीए, पर इतने छोटे जीवन में गायकी के कई पहलू छू गए। मैं एक बार उन्हें ‘मोज़ार्ट’ लिख चुका हूँ।
यह प्रस्तुति शुरू होती है आलाप से, जिसमें गायक ‘विलंबित’ यानी धीमी गति (slow rhythm) में कुछ स्वरों को गा रहे हैं। ग रे ग प ध नी साss। आप कहेंगें, ये कब गाया?
गाया जा रहा है, पर तोड़-तोड़ कर या जोड़ों में। कभी बस गंधार (ग) स्वर में आलाप। पंचम (प) को थोड़ा आंदोलित (हिला-डुला) कर और लंबे लेकिन सुगम तरीके से धैवत (ध) में। और धैवत से ही उठा कर ‘नी सा’ तक। यह विस्तार (improvisation) अलग-अलग तरह से है।** और यह भी ध्यान दें कि स्वर ऊपर चढ़ता है, और उतरता है। आरोह और अवरोह। “दैयाs” जो आलाप का key-word है, वो इस प्रस्तुति का चौराहा (intersection)। यहाँ सुस्ता कर गायक अगली राह पकड़ते हैं।
यू-ट्यूब ने शीर्षक में “दैया कहाँ गए लोग, ब्रज के बसय्या” लिखा जो गलत है। यह अलग बंदिश है। ग्वालियर घराने और मराठीयों का ट्रेडमार्क-
“कवन बँटरिया गइलो, माई देहो बताय।
मैं घरवा गत माइ, चूरिया भइलवा।
लेने गई सौदा रे, अरे हटवारे।
इतनी गली में गइलो कवनवा।”
किशोरी अमोनकर जी का इसी बंदिश में गायन जरूर सुनें किसी सुबह। कवन बँटरिया गइलोsss
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*पटियाला घराना से जुड़ी और फिल्म-स्टार गोविंदा की मां निर्मला जी ने मन्ना डे के साथ गाया है, और ऐक्टिंग भी की है।
**आलाप में मध्यम (म) भी लगा है, पर कम।
Others from Morning tea playlist (Kavan Batariya):
1. रामाश्रय झा ‘रामरंग’- http://www.parrikar.org/mus…/bilawal/jha_alhaiyyabilawal.mp3
2. किशोरी अमोनकर – https://youtu.be/fnJyIW_dJ18
3. कुमार गंधर्व – https://youtu.be/RQcX6WLOoa8
4. पं. नारायणराव व्यास – https://youtu.be/d9aN95g8YVA
(आलेख एक श्रोता का अपना अनुभव है, संगीतकार का नहीं।)